सोचता हूँ मैं कहीं रूककर आज भी क्या सुनहरे पल थे वह भी। सोचता हूँ मैं कहीं रूककर आज भी क्या सुनहरे पल थे वह भी।
किताब के उन पन्नों से आज फिर मुलाकात हुई.. किताब के उन पन्नों से आज फिर मुलाकात हुई..
उमड़ घुमड़ बादल जब आते मन मयूर को वो हुलसाते । उमड़ घुमड़ बादल जब आते मन मयूर को वो हुलसाते ।
काम चलाना पड़ेगा ना उनकी यादों से। काम चलाना पड़ेगा ना उनकी यादों से।
हमें बना देती थी मुर्ग़ा और, ख़ुद कॉपी पे देती थी अंडा । हमें बना देती थी मुर्ग़ा और, ख़ुद कॉपी पे देती थी अंडा ।
वो सुनहरे दिन वो सुनहरे दिन